आज भारत में उत्तर प्रदेश के सरयू तट के किनारे अयोध्या में एक स्वर्णिम अध्याय लिखा गया। जब भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के हाथों द्वारा श्रीराम मंदिर भूमि पूजन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। श्री राम हमारी संस्कृति केआधार और आज आधुनिक प्रतीक बने हैं । श्री राम मंदिर के भूमि पूजन के साथ साथ सैकड़ों वर्षों से चले आ रहे हैं अयोध्या विवाद का अंत बुराई पर अच्छाई की जीत के साथ हुआ।
तो आइए जानते हैंAyodhya ram mandir history in Hindi
450 साल से भी पुराने अयोध्या विवाद के मामले में कई उतार-चढ़ाव आए। 9 नवंबर 2019 की तारीख इतिहास में दर्ज हो गई जब सुप्रीम कोर्ट ने जमीन का मालिकाना है राम जन्मभूमि न्यास को दे दिया तो आइए जानते हैं अयोध्या विवाद का इतिहास-
श्री राम का जन्म अयोध्या में हुआ था उनके जन्मस्थली पर एक भव्य मंदिर सैकड़ों वर्षो से विराजमान था। जिसे 1528 ईसवी में मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर एक मस्जिद का निर्माण करा दिया। तभी से अयोध्या विवाद का जन्म हुआ।
आजादी के की बाद राम मंदिर आंदोलन को भारतीय जनता पार्टी ने जून 1969 विश्व हिंदू परिषद को औपचारिक समर्थन देना प्रारंभ कर दिया था जिससे जिससे कि मंदिर निर्माण आंदोलन में एक नया मोड़ आया-
6 दिसंबर 1992 को भारतीय जनमानस के द्वारा विवादित ढांचा गिरा दिया गया था
16 दिसंबर 1992 को आयोग का गठन किया गया लिब्राहन आयोग को 3 महीने के अंदर रिपोर्ट देने को कहा गया था लेकिन आयोग को अपने रिपोर्ट सौंपने में 17 वर्ष लगे इसी बीच भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई ने अपने कार्यालय में एक अयोध्या विभाग का गठन किया जिसका कार्य विवाद विवाद सुलझाने का था।
लेकिन संपूर्ण मामला कोर्ट में जाने के बाद 30 सितंबर 2010
को इलाहाबाद हाईकोर्ट के तीन जजों की संविधान पीठ ने अपना फैसला सुनाया
कोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन तीन भागों में बराबर बराबर बांटने का फैसला लिया जिसमें स्थापित राम मूर्ति वाला हिस्सा राम लल्ला विराजमान तथा राम चबूतरा और सीता रसोई वाला हिस्सा निर्मोही अखाड़े को तीसरा व बचा हुआ हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड को दे दिया जाए। पीठ ने फैसले के लिए एसआई की रिपोर्ट ई आधार माना था और भगवान श्री राम के जन्म स्थान होने की मान्यता थी।
सुन्नी वक्फ बोर्ड ने हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी इसके बाद इस मामले में कई सारी याचिकाएं दायर में जिसकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को 2011 मैं रोक लगा दी।
- सुप्रीम कोर्ट ने अनवरत सुनवाई के बाद पांच जजों की संविधान पीठ ने 16 अक्टूबर 2019 को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया और सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को अपना फैसला सर्वसम्मति सुनाया-
- सुप्रीम कोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन का मालिकाना हक रामलला को दे दिया
- कोर्ट ने केंद्र सरकार को मंदिर बनाने के लिए 3 महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का निर्देश दिया।
एसआई की रिपोर्ट में मंदिर के ढांचे के ऊपर मस्जिद बनाने के कई सबूत मिले थे।
कोर्ट ने निर्मोही अखाड़े को दावे को खारिज कर दिया।
सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या की सीमा के अंदर 5 एकड़ जमीन देने का निर्देश दिया।
इस तरह भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सैकड़ों वर्ष पुराने अयोध्या विवाद का फैसला किया जिसे भारतीय जनता सर्वसम्मति से स्वीकार किया।
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